ये जो माँ होती है,
अपने दिन-रात खोती है ।
बच्चों के आँसू पोंछ कर,
खुद चुप-चाप रोती है ।
चलती है धुप में,
हमें छाओं देती है ।
ये जो माँ होती है,
सब चुप-चाप सेहती है ।
चूल्हे की आंच में,
रोटियों के साथ तपती है ।
खिला कर पेट भर हमें,
खुद भूखी सोती है ।
ये जो माँ होती है,
सब चुप-चाप सेहती है ।
सब की खुशियों के लिए,
अपने सुख भूलती है ।
सारे दुःख भुला कर,
मुस्कुराना सीखती है ।
शब्दों में समझाना मुश्किल है,
ये क्या होती है?
ये जो माँ होती है,
अपने बच्चों का आसमान होती है ।
अपने दिन-रात खोती है ।
बच्चों के आँसू पोंछ कर,
खुद चुप-चाप रोती है ।
चलती है धुप में,
हमें छाओं देती है ।
ये जो माँ होती है,
सब चुप-चाप सेहती है ।
चूल्हे की आंच में,
रोटियों के साथ तपती है ।
खिला कर पेट भर हमें,
खुद भूखी सोती है ।
ये जो माँ होती है,
सब चुप-चाप सेहती है ।
सब की खुशियों के लिए,
अपने सुख भूलती है ।
सारे दुःख भुला कर,
मुस्कुराना सीखती है ।
शब्दों में समझाना मुश्किल है,
ये क्या होती है?
ये जो माँ होती है,
अपने बच्चों का आसमान होती है ।
Very nice
ReplyDeleteKeep it up
Thank you
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