ना हो कर भी तुम मौजूद हो यहाँ,
सुन सकते हो जो मैंने मनन में कहा,
किसी और की परछाई में भी जब तुम दिखो,
कुछ और नहीं ये मेरा भ्रम ही तो है ।
ये मेरा भ्रम ही तो है जो मैं आज भी,
रातों में रहती हूँ जागती,
कहती रहती हूँ जो तब ना कहा,
इस दुनिया में अब तुम्हारा निशान ना कोई,
अपनी यादों को मैं भूलती गयी,
मिटा कर सारे निशां दुखों के,
तुम्हे भूल जाना मेरा भ्रम ही तो है ।
इस दिन से हर साल मैं भागती,
ना आये तू याद ये दुआ मांगती,
ना आएगा याद तू, ये सोचना,
ये सोचना मेरा भ्रम ही तो है ।
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