ये जो माँ होती है, अपने दिन-रात खोती है । बच्चों के आँसू पोंछ कर, खुद चुप-चाप रोती है । चलती है धुप में, हमें छाओं देती है । ये जो माँ होती है, सब चुप-चाप सेहती है । चूल्हे की आंच में, रोटियों के साथ तपती है । खिला कर पेट भर हमें, खुद भूखी सोती है । ये जो माँ होती है, सब चुप-चाप सेहती है । सब की खुशियों के लिए, अपने सुख भूलती है । सारे दुःख भुला कर, मुस्कुराना सीखती है । शब्दों में समझाना मुश्किल है, ये क्या होती है? ये जो माँ होती है, अपने बच्चों का आसमान होती है ।
Everyday has a new beginning. The day which passed had something to teach and the new day has something to give. This world always inspires so, just trying to keep getting inspired. Trying to finish something which was incomplete only to find completeness.